Chhattisgarh River Drainage System Part 3 | नदी अपवाह तंत्र

Chhattisgarh River Drainage System Part 3

cgvyapamgkquiz में आप सभी अभियर्थियों का स्वागत है। इस पोस्ट में हम छत्तीसगढ़ नदी अपवाह तंत्र का भाग 3 (Chhattisgarh River Drainage System Part 3) ले कर आये है। इस भाग में हम गोदावरी नदी अपवाह तंत्र, सोन/गंगा नदी अपवाह तंत्र और नर्मदा नदी अपवाह तंत्र का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे। महानदी अपवाह तंत्र के बाद गोदावरी नदी अपवाह तंत्र इस राज्य की दूसरी बड़ी नदी अपवाह तंत्र है।

गोदावरी नदी अपवाह तंत्र |Godavari River Drainage System

  • गोदावरी नदी (Godavari River) छत्तीसगढ़ में सिर्फ 15 किमी. तक ही बहती है। ये नदी छत्तीसगढ़ के दक्षिण-पश्चिम पर भद्रकाली से कोट्टरु तक ही बहती है।
  • गोदावरी नदी अपवाह तंत्र छत्तीसगढ़ के दक्षिणी भाग में स्थित है।
  • ये छत्तीसगढ़ के कुल अपवाह तंत्र का 28.64% जल को ग्रहण करती है। साथ ही 36.49 हजार वर्ग किमी. में विस्तृत है।
  • छत्तीसगढ़ में इस नदी अपवाह तंत्र की प्रमुख नदियाँ इंद्रावती, शबरी, कोटरी, शंखिनी-डंकिनी, नारंगी, चिंतावगु, गुडरा, निबरा आदि है।
  • पोलावरम परियोजना के तहत गोदावरी नदी में पोलावरम बांध का निर्माण किया गया है। जो छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के बीच विवादित है।
  • गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नही इंद्रावती नदी है।
  • गोदावरी नदी और कृष्णा नदी मिलकर कृष्णा गोदावरी डेल्टा का निर्माण करती है।
  • गोदावरी नदी एक अध्यारोपित नदी तंत्र है।

छत्तीसगढ़ में गोदावरी नदी की सहायक नदियाँ

1. इंद्रावती नदी (Indravati River)

  • इंद्रावती नदी का उद्गम कालाहांडी जिला (ओड़िसा) के मुंगेर पर्वत के समीप है।
  • इंद्रावती नदी की कुल लंबाई 264 किमी. है।
  • इंद्रावती नदी की प्रवाह दिशा पश्चिम की ओर है।
  • इंद्रावती नदी के तट पर जगदलपुर, बारसूर और भोपालपट्टनम नगर बासे है।
  • इंद्रावती नदी को प्राचीनकाल में मंदाकिनी नदी के नाम से जाना-जाता था।
  • इंद्रावती नदी को बस्तर की जीवनरेखा के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।
  • इंद्रावती नदी एक अध्यारोपित प्रकार की नदी है।
  • इंद्रावती नदी और गोदावरी नदी का संगम स्थल भद्रकाली नामक स्थान के निकट है।
  • कोटरी नदी, नारंगी नदी, डंकिनी-शंखिनी नदी, निबरा नदी, गुडरा नदी और बोर्डिंग नदी इसकी सहायक नदियां है।
  • कोटरी नदी (Kotari River), इंद्रावती नदी (Indravati River) की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इस नदी का उद्गम राजहरा की पहाड़ी से हुआ है।
  • कोटरी नदी बेसिन छत्तीसगढ़ के दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है।
  • कोंडागांव शहर नारंगी नदी के तट पर स्थित है।
  • दंतेश्वरी माता का मंदिर डंकिनी-शंखिनी नदी के संगम पर स्थित है।
  • शंखिनी नदी सबसे प्रदूषित नदी है इसका जल रक्ताभ (लाल) है।

2. शबरी नदी (Sabari River)

  • इसका उद्गम ओड़िसा के नन्दपुर पर्वत के समीप है।
  • इस नदी को प्राचीनकाल में कोलाब नदी के नाम से जाना-जाता था।
  • शबरी नदी की कुल लंबाई 173 किमी. है।
  • कांगेर नदी और मालेगर नदी इसकी सहायक नदियाँ है।
  • आंध्रप्रदेश के कुनावरम के समीप गोदावरी नदी में विसर्जित हो जाती है।
  • तीरथगढ़ जलप्रपात, मुनगाबहार नदी में स्थित है जो कांगेर नदी की सहायक नदी है।
  • कांगेर नदी में भैंसादरहा स्थान में प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ का सरंक्षण किया जाता है।
  • छत्तीसगढ़ में एक मात्र जल परिवहन की सुविधा शबरी नदी में है। जो कोटा (सुकमा) से आंध्रप्रदेश के कुनावरम तक है। जल परिवहन की लंबाई 36 किमी. तक है।
  • शबरी नदी छ०ग० की दक्षिण सीमा रेखा बनती है।

3. बाघ नदी 

  • इसका उद्गम राजनांदगांव जिले के कुलझारी पहड़ी के समीप है।
  • ये नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बीच सीमारेखा बनाती है।
  • वेनगंगा नदी के माध्यम से गोदावरी नदी में विसर्जित हो जाती है।

सोन/गंगा नदी अपवाह तंत्र |Son/Ganga Drainage System

छत्तीसगढ़ के उत्तरीय भाग का ढलान उत्तर की ओर होने के कारण छत्तीसगढ़ की अधिकांश नदियाँ उत्तर की ओर प्रवाहित होती है। छत्तीसगढ़ के उत्तरीय भाग में सोन नदी अपवाह तंत्र है। जो गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदी है।

सोन नदी अपवाह तंत्र राज्य की तीसरी बड़ी नदी अपवाह तंत्र है। जो 13.63% तक जल धारण करती है। और 18.78 हजार वर्ग किमी. में विस्तृत है।

1. बनास नदी (Banas River)

  • भरतपुर तहसील (कोरिया) के मांजटोली की पहाड़ी के समीप इसका उद्गम स्थल है।
  • रामदा जलप्रपात बनास नदी पर है। जिसकी ऊँचाई लगभग 100 मी. है। 

2. गोपद नदी

  • गोपद कोरिया जिले मे सोनहत पठार के उत्तरी ढलान से निकलती है। तथा धारा बार्डी के समीप सोन से जाकर मिल जाती है।

3. नेयुर नदी

  • नेयुर नदी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मध्य सीमारेखा बनती हुए प्रवाही होती है।

4. रिहन्द नदी ( Rihand River)

  • रिहन्द नदी का उद्गम छुरी मतिरिंगा की पहाड़ी से हुआ है, जो अम्बिकापुर तहसील के अंतर्गत आती है।
  • इस नदी की कुल लंबाई 145 किमी. है।
  • घुनघुट्टा नदी, मोरनी नदी, महान नदी, सूर्या नदी और गोबरी नदी इसकी सहायक नदियां है।
  • इसका प्रवाह क्षेत्र सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर में फैला हुआ है।
  • सोनभद्र जिले के पास ये सोन नदी में विलय हो जाती है।
  • रिहन्द नदी को सरगुजा की जीवनरेखा भी कहते है।
  • महेशपुर (सरगुजा) पुरातात्विक स्थल रिहन्द नदी के तट पर ही स्थित है।
  • गोविंद वल्लभ पंत जलाशय का निर्माण रिहन्द नदी में किया गया है जो उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले में है।

5. कन्हार नदी (Kanhar River)

  • इस नदी का उद्गम स्थान बखोना पहाड़ी के समीप है, जो जशपुर जिले के अंतर्गत आती है।
  • कन्हार नदी की कुल लंबाई 115 किमी. है।
  • पेंजन, सिंदूर, गलफुला और चनान इसकी सहायक नदियां है।
  • कन्हार नदी छत्तीसगढ़ और झारखंड के मध्य सीमारेखा बनती हुए बहती है।
  • डीपाडीह (बलरामपुर) पुरातात्विक स्थल कन्हार नदी के तट पर स्थित है।
  • कन्हार नदी की सहायक नदी चनान नदी पवई जलप्रपात का निर्माण करती है।
  • डीपाडीह से 15 किमी दूर में कन्हार नदी कोठरी जलप्रपात का निर्माण करती है।

नर्मदा नदी अपवाह तंत्र | Narmada River Drainage System

  • यह राज्य का सबसे छोटा नदी अपवाह तंत्र है।
  • यह कुल अपवाह तंत्र का 1% जल धारण करती है।
  • इस तंत्र की प्रमुख सहायक नदी बंजर और ताडा नदी है। जो कवर्धा जिले से निकलती है।
  • बंजर नदी पश्चिम की ओर बहाने वाली सबसे लंबी नदी है।

नदी जोड़ो परियोजना |Inter River Linking Project

छत्तीसगढ़ प्रदेश में सिंचाई संकट को दूर करने के लिए निम्नलिखित नदियों को आपस में जोड़ने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है, इस इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट के लिए 36 करोड़ 55 लाख रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। जिसके द्वारा निम्न नदियों को जोड़ा जाएगा।

1. महानदी और तांदुला नदी लिंक परियोजना

2. रेहर और अटेम नदी लिंक परियोजना

3. पैरी नदी और महानदी लिंक परियोजना

4. अहिरन और खारंग नदी लिंक परियोजना

5. हसदो और केवाई नदी लिंक परियोजना

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