Tributaries of The Mahanadi River Drainage System Part 2| महानदी की सहायक नदियाँ भाग- 2

महानदी की सहायक नदियाँ

cgvyapamgkquiz में आप सभी का स्वागत है। पहले भाग में हमने महानदी का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया है। इस भाग में हम महानदी की सहायक नदियाँ का विस्तृत अध्ययन करने वाले है। महानदी अपवाह तंत्र छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी अपवाह तंत्र है। महानदी की सहायक नदियाँ को हम उनके विसर्जन के आधार पर दो भागों में विभाजित कर सकते है। 

  • महानदी की उत्तर दिशा की ओर से विसर्जन होने वाली सहायक नदियाँ।
  • महानदी की दक्षिण दिशा की ओर से विसर्जन होने वाली सहायक नदियाँ।

महानदी की उत्तर दिशा की ओर से विसर्जन होने वाली सहायक नदियाँ

शिवनाथ नदी (Shivnath River)

मुख्य बिंदु (Important Point)

  • शिवनाथ नदी (Shivnath river) महानदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  • शिवनाथ नदी की कुल लंबाई 290 की०मी० है।
  • छत्तीसगढ़ में बहने वाली सबसे लम्बी नदी शिवनाथ नदी है, जबकि छत्तीसगढ़ की सबसे लंबी नदी महानदी है।
  • पूर्व में शिवनाथ नदी का उद्गम स्त्रोत पानाबरस पहड़ी को माना जाता था। पर नवीनतम स्त्रोतों के अनुसार महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के गोड़री गांव के समीप है।
  • महानदी (Mahanadi river) एवं शिवनाथ नदी (Shivnath river) का दोआब क्षेत्र रायपुर-दुर्ग जिले में फैला हुआ है।
  • इतिहासिक काल मे शिवनाथ नदी 36 गढ़ों को दो भागों (18-18 गढ़) में विभाजित करती थी।
  • वामन पुराण तथा मत्स्य पुराण में शिवनाथ नदी (Shivnath river) को शुनि नदी के नाम से उल्लेखित किया गया है।

प्रवाह क्षेत्र : शिवनाथ नदी (Shivnath river) छत्तीसगढ़ के 7 जिलों से होकर प्रवाहित होती है, जो इसप्रकार है:- राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा, मुंगेली, बिलासपुर, बलौदाबाजार एवं जांजगीर-चाम्पा।

तट पर स्थित प्रमुख स्थल: दुर्ग, नांदघाट (बेमेतरा), मदकू द्वीप (मुंगेली), सोमनाथ (बलौदाबाजार)

महानदी में विलय: शिवनाथ नदी (Shivnath River) बिलासपुर जिले के खरगाहनी गांव के समीप महानदी में विसर्जित हो जाती है।

सिंचाई परियोजना: मोंगरा बैराज (Mongra Barrage) सिंचाई परियोजना जो राजनांदगांव जिले में स्थित है। इस परियोजना का निर्माण 2008 में पूर्ण हुआ था।

शिवनाथ नदी की सहायक नदियाँ 

उत्तर दिशा की ओर से मिलने वाली नदियाँ : आमनेर नदी, हाफ नदी, मनियारी नदी, अरपा नदी, लीलागर नदी।

दक्षिण दिशा की ओर से मिलने वाली नदियाँ: खरखरा नदी, तांदुला नदी, खारुन नदी, जमुनिया नदी।

 

शिवनाथ नदी की सहायक नदियाँ

उत्तर दिशा की ओर से शिवनाथ नदी (Shivnath River) में मिलने वाली नदियाँ:

आमनेर नदी
  • इस नदी का उद्गम कवर्धा जिले के समीप मैकल श्रेणी से हुआ है।
  • खैरागढ़ (जिला राजनांदगांव) के समीप मुस्का नदी और पिपरिया नदी के साथ मिलकर त्रिवेणी संगम बनती है।
  • ये नदी दुर्ग जिले के समीप कौड़िया नामक ग्राम के पास शिवनाथ नदी में विलय हो जाती है।
  • ऐसा मान्यता है कि आमनेर नदी के रेट में सोने के कण पाए जाते है।
हाफ नदी
  • इस नदी का उद्गम स्थल कबीरधाम जिले के समीप कान्दरवानी पहड़ी में है।
  • हाफ नदी की कुल लंबाई 90 किमी. है।
  • सिमगा के पास ये शिवनाथ नदी में विलय हो जाती है।
मनियारी नदी 
  • इस नदी का उद्गम लोरमी पठार के सिहवत चोटी (मुंगेली) से हुआ है।
  • मनियारी नदी की लंबाई 134 किमी० है।
  • आगर, छोटी नर्मदा, टेसुवा, व घोंघा इसकी सहायक नदियाँ है।
  • ये नदी मदकूद्वीप के समीप शिवनाथ नदी में विसर्जन हो जाती है।
  • ये नदी मुंगेली तथा बिलासपुर जिले के मध्य सीमारेखा बनती है।
  • अमेरीकापा तालागांव इसी नदी के किनारे बसा हुआ है।
  • खुड़िया बांध/राजीव गांधी जलाशय जिसका निर्माण 1930 में हुआ था, इसी नदी पर बनाया गया है।
अरपा नदी
  • अरपा नदी का उद्गम खोडरी-खोंगसरा पहड़ी से हुआ है, जो जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के अंतर्गत आता है।
  • अरपा नदी की कुल लंबाई लगभग 100 किमी. है।
  • ठाकुरदेवा नामक ग्राम के समीप ये शिवनाथ नदी में विसर्जन हो जाती है।
  • इसी नदी में कोटा के समीप भैंसाझार परियोजना का निर्माण किया गया है।
  • अरपा नदी की सहायक नदी खारंग नदी में खूंटाघाट बांध/ संजय गांधी परियोजना संचालित है जिसका निर्माण 1920 में पूरा हुआ था।
लीलागर नदी
  • इसका उद्गम स्थल कोरबा की पूर्वी पहाड़ियों से  है।
  • इसकी कुल लंबाई 135 किमी. है।
  • इस नदी का प्राचीन नाम निडला नदी है।
  • कुटिघाट के समीप ये शिवनाथ नदी में विसर्जित हो जाती है।
  • इस नदी के तट पर शरभपुरी वंशी राजा प्रसन्नमात्र द्वारा बसाया गया नगर मल्हार स्थित है।
  • ये नदी बिलासपुर और जांजगीर-चाम्पा जिले के मध्य सीमारेखा का निर्माण करती है।

दक्षिण दिशा की ओर से शिवनाथ नदी में मिलने वाली नदियाँ

खरखरा नदी
  • इसका उद्गम स्थल डौडीलोहारा के समीप है।
  • इस नदी पर खरखरा नामक बांध का निर्माण किया गया है, जो पूर्णतः मिट्टी से बना हुआ है तथा इसकी लंबाई 1128 मीटर है।
तांदुला नदी
  • तांदुला नदी का उद्गम स्थल भानुप्रतापपुर की पहाड़ियों से हुआ है, जो कांकेर जिले के अंतर्गत आता है।
  • इस नदी की कुल लंबाई 64 किमी. है।
  • इस नदी पर छत्तीसगढ़ की प्रथम परियोजना, तांदुला जलाशय (बालोद)  का निर्माण 1913 में किया गया है।
  • इसकी सहायक नदी जुहार/जुवारी नदी में गोंदली जलाशय स्थित है।
खारुन नदी
  • इस नदी का उद्गम पेटेचुआ पहाड़ों से हुआ है।
  • इस नदी के तट पर रायपुर एवं तरीघाट (दुर्ग) स्थित है।
  • रायपुर में संस्पेंशन ब्रिज ( लक्ष्मण झूला ) का निर्माण किया गया हैं।
  • सोमनाथ के समीप ये शिवनाथ नदी में विसर्जित हो जाती है।

हसदो नदी (Hasdo River)

  • हसदो नदी, शिवनाथ नदी के बाद महानदी की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  • इस नदी का उद्गम देवगढ़ की पहाड़ी, कैमूर पर्वत के समीप है। 
  • हसदो नदी की कुल लंबाई 176 कि०मी० है, तथा इसका प्रवाह क्षेत्र कोरिया, कोरबा और जांजगीर-चाम्पा जिले में फैला हुआ है। 
  • हसदो नदी, चाम्पा से बहती हुई शिवरीनारायण से 8 मील पहले सिलादेही के समीप महानदी में विलय हो जाती है।
  • कोरबा, चाम्पा, पीथमपुर हसदो नदी के तट पर स्थित नगर है।
  • तान, झींग, उतेंग, गज, अहिरन, और बोरनई इसकी सहायक नदियाँ है।
  • कटघोरा अहिरन नदी के तट पर स्थित है। जो हसदो नदी की सहायक नदी है।
  • हसदो नदी घाटी क्षेत्र कोयला खदानों के लिये देशभर में प्रसिद्ध है। हसदेव-रामपुर कोयला क्षेत्र सरगुजा तक फैला हुआ है।
  • हसदो नदी कोरिया जिले में अमृतधारा जलप्रपात का निर्माण करती है, जिसकी ऊँचाई 90 फिट है। एक और झरना जो गौरघाट जलप्रपात के नाम से जानी-जाती है, कोरिया जिले से लगभग 33 कि०मी० की दूरी पर स्थित है।
  • सिंचाई परियोजना के तहत हसदेव बांगो परियोजना जो मिनीमाता जलविद्युत परियोजना के नाम से विश्व विख्यात है। इसका निर्माण कार्य 1967 मे पूर्ण हुआ था। और ये प्रदेश का सबसे ऊंचा बांध है, जिसकी लंबाई 87 मीटर है।
  • नदी जोड़ो परियोजना के तहत हसदो नदी और केवाई नदी को जोड़ा गया है। इसी परियोजना के तहत हसदो नदी की सहायक नदी अहिरन और खारंग नदी को भी जोड़ा गया है।

मांड नदी (Mand River)

  • मांड नदी (mand river) का उद्गम स्थल मैनपाट में है, जो सरगुजा जिले के अंतर्गत आता है।
  • मांड नदी का प्राचीन नाम मंदगा (मार्कण्डेय पुराण से), मंदवाहिनी है।
  • मांड नदी की कुल लंबाई 155 किलोमीटर है।
  • मांड नदी का प्रवाह क्षेत्र सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चाम्पा में फैला हुआ है।
  • कोइराज, चिंदई, कुरकुट नदी इसकी सहायक नदियां है।
  • महानदी, मांड नदी और लात नदी के संगम स्थल पर चंद्रपुर बसा हुआ है जहाँ पर माँ चंद्रहासिनी देवी का मंदिर स्थित है।

केलो नदी (Kelo River)

  • केलो नदी का उद्गम लुड़ेग पहाड़ी है, जो लैलूंगा तहसील, रायगढ़ जिले के अंतर्गत आती है।
  • इसके तट पर रायगढ़ शहर बसा हुआ है।
  • कोलडेगा और राजर इसकी सहायक नदियाँ है।
  • केलो नदी पर लाखा नामक ग्राम के पास बांध का निर्माण किया गया है, जो स्व० दिलीप सिंह जूदेव परियोजना के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माणकार्य 2014 में पूर्ण हुआ है।

ईब नदी (EB River)

  • इसका उद्गम खुरजा पहाड़ी के रानीझुला नामक स्थान से हुआ है, जो जशपुर जिले के अंतर्गत आता है।
  • ईब नदी की कुल लंबाई 202 किमी. है। तथा छत्तीसगढ़ में इसकी लंबाई 87 किमी. है।
  • खोरुंग, सिरिनदी, डोरकी एवं मैनी नदी इसकी सहायक नदियां है।
  • इसका प्रवाह क्षेत्र केवल जशपुर जिले में है इसके बाद ये ओड़िसा में प्रवेश करती है।
  • ईब नदी के रेत में “सोने के कण” पाए जाते है।
  • संबलपुर के समीप ये महानदी में विसर्जन हो जाती है।

नदी जोड़ो परियोजना (Inter River Linking Project)

छत्तीसगढ़ प्रदेश में सिंचाई संकट को दूर करने के लिए निम्नलिखित नदियों को आपस में जोड़ने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है, इस इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट के लिए 36 करोड़ 55 लाख रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। जिसके द्वारा निम्न नदियों को जोड़ा जाएगा।
1. महानदी और तांदुला नदी लिंक परियोजना
2. रेहर और अटेम नदी लिंक परियोजना
3. पैरी नदी और महानदी लिंक परियोजना
4. अहिरन और खारंग नदी लिंक परियोजना
5. हसदो और केवाई नदी लिंक परियोजना
 
अगर आपको हमरे द्वारा ये पोस्ट जानकारीपूर्ण लगी है तो कृपा इस पोस्ट को लाइक और शेयर कीजिये ताकि और अभियार्थियो को भी इसका लाभ मिल पाए .
Share on facebook
Share on twitter
Share on whatsapp

Leave a comment